Tuesday, 31 January 2012

सेंकने का आग


सेंकने    का   आग   तो   तेरा    बहाना    है |
सीधे -सीधे   बोल    मेरा   घर    जलाना  है ||

खोट   आँखों   में     लबादा   सूफ़ियाना    है |
आज  सब  को  एसे  फ़ुक़रा   से  बचाना  है || 


वो  करे   क्या   तब्सिरा   मेरे   ख्यालों  पर |
काम जिसका  सिर्फ़ बस खाना - कमाना है ||

खिड़कियाँ  टूटी हैं   उनसे झांकते   हैं  लोग |
क्या करूँ  मुश्किल ग़रीबी को  छुपाना    है ||

मैं  सियासत  क्यूँ करूँ मेरा नहीं  ये  काम |
मेरा  मक़ि्सद तो फ़क़त पढ़ना-पढ़ाना  है ||

मेरे बच्चों को  मिलेगी  आज   बिरयानी |
आज  मेरे घर  कोई  मेहमान   आना  है ||

वास्ता  वो क्यों  भला  रखें  महब्बत   से |
शौक जिनका दूसरों को बस  सताना  है ||

वो करे धंधा निभाये या  कि   रिश्तों  को |
घर उसे आख़िर को अपना भी चलाना है ||

आप   बेटी   लें   न  लें  है  आपकी  मर्ज़ी |
पास    मेरे   बस   ज़रा  सा  बारदाना  है ||

मैं  उछलता  हूँ  ज़रा  सा  प्यार   पाते ही |
लोग  समझे हैं मिरा दिल आशिक़ाना है ||

डा०  सुरेन्द्र  सैनी