सेंकने का आग तो तेरा बहाना है |
सीधे -सीधे बोल मेरा घर जलाना है ||
खोट आँखों में लबादा सूफ़ियाना है |
आज सब को एसे फ़ुक़रा से बचाना है ||
वो करे क्या तब्सिरा मेरे ख्यालों पर |
काम जिसका सिर्फ़ बस खाना - कमाना है ||
खिड़कियाँ टूटी हैं उनसे झांकते हैं लोग |
क्या करूँ मुश्किल ग़रीबी को छुपाना है ||
मैं सियासत क्यूँ करूँ मेरा नहीं ये काम |
मेरा मक़ि्सद तो फ़क़त पढ़ना-पढ़ाना है ||
मेरे बच्चों को मिलेगी आज बिरयानी |
आज मेरे घर कोई मेहमान आना है ||
वास्ता वो क्यों भला रखें महब्बत से |
शौक जिनका दूसरों को बस सताना है ||
वो करे धंधा निभाये या कि रिश्तों को |
घर उसे आख़िर को अपना भी चलाना है ||
आप बेटी लें न लें है आपकी मर्ज़ी |
पास मेरे बस ज़रा सा बारदाना है ||
मैं उछलता हूँ ज़रा सा प्यार पाते ही |
लोग समझे हैं मिरा दिल आशिक़ाना है ||
डा० सुरेन्द्र सैनी
No comments:
Post a Comment